दिव्य संवाद - संयुक्त राष्ट्रपति सुरक्षा परिषद भारत ने रूस के खिलाफ आए प्रस्तावों पर पूर्व में मतदान नहीं किया लेकिन अब रूस के प्रस्ताव पर भी मतदान नहीं कर भारत ने इस पूरे प्रकरण मैं अपनी कट आस्था परगट कर दी है यह माना जा रहा है।

कि अमेरिका एवं यूरोपीय देशों के बढ़ते दबाव के चलते भारत ने यह स्पष्ट ने संकेत दे दिया है कि इस समूचे प्रकरण में हो और उसके खेतों में भी नहीं है रूस ने मानव्य संकट के समाधान के लिए प्रस्ताव रखा था।

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उसे सिर्फ अपना और चीन का वोट मिला बाकी सभी 3 सदस्य ने इस पर मतदान नहीं किया इसीलिए यह प्रस्ताव अविष्कार हो गया भारत के साथ-साथ यूएई ने भी मतदान से दूरी बनाई जबकि पिछले माह 26 फरवरी को जब रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था तो चीन भारत और यूएई तीनों का रूप करीब-करीब एक जैसा आ रहा था।

और उन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया था इस बार सिर्फ चीन रूस के साथ बड़ा दिखा है जिस प्रकार भारत यूएई समय सभी 13 देशों ने प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया उसने परोक्ष रूप से यह संदिप किया जाता है कि भारत की पश्चिमी के दबाव में हैं हालांकि विशेष विज्ञान इसे पूरी तरह से सहमत नजर नहीं आते हैं।

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जानकारों का मानना है कि इस बार थोड़ी और प्रस्ताव रूस की तरफ से था इसीलिए भारत के लिए रुख है करने की चुनौती थी रूस हमेशा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्य की पैरवी करता है। राजेंद्र सिंह का कहना है कि यह भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि और रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर किसी भी तरफ नहीं है तथा वह इस का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।

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