एक समय की बात है, एक गाँव में एक डायन रहती थी। वह डायन बहुत ही डरावनी और भयंकर थी। उसकी आँखों के नीचे बड़े-बड़े बूट थे और उसके दांत भी बहुत तेज़ और कुटिल थे। लोग डायन के डर से घर से निकलने का भी डर रखते थे।

लेकिन इस डायन की एक खास बात थी। वह एक बेटा हुआ था, जिसका नाम निर्जल था। यह बेटा बहुत ही प्यारा और सच्चा था। डायन का भी दिल इस बेटे के लिए बहुत ही प्यार से भरा था। वह अपने बेटे के साथ हमेशा खेलती, मज़ा करती, और उसका ख्याल रखती थी।

निर्जल बड़ा होता गया, लेकिन उसने कभी भी डायन की तरह नहीं बना। वह दयालु, सहानुभूति, और सहयोगी था। वह अपनी माँ के साथ रहकर लोगों की मदद करता, उनकी समस्याओं को सुलझाता, और उनके साथ खुशियाँ बाँटता। एक दिन, डायन को बुरा सपना आया कि उसके बेटे ने उसके खिलाफ साजिश की है। वह ज़ोरदार चिल्लाई और निर्जल को डरा-धमकाकर घर से भगा दिया। निर्जल भयभीत और उदास हो गया।

एक दिन, एक युवक ने उसे देखा। वह युवक निर्जन साधारण से था, लेकिन बहुत ही बहादुर और साहसी था। उसने डायन को बातचीत के लिए निकट आया। डायन की आंखों में विलक्षणता के साथ उसने उस युवक को देखा। "तुम कौन हो?" डायन ने उससे पूछा।

मैं एक सामान्य युवक हूँ, जो तुमसे डरने के लिए नहीं आया हूँ। मुझे लगता है कि हम साथ मिलकर कुछ अद्भुत कर सकते हैं।" युवक ने विश्वासपूर्वक कहा। डायन को उस युवक पर विश्वास नहीं था, लेकिन उसने भी उसकी बात सुनी। दोनों ने मिलकर मिलकर बातचीत की और एक-दूसरे की मदद करने के लिए समझौता किया।

धीरे-धीरे, डायन और युवक के बीच में एक गहरी दोस्ती हो गई। युवक ने डायन को उसकी भयानकता के पीछे के कारणों को समझाया और उसकी सहायता की। लेकिन वह निर्जल था, वह डायन की स्तुति सुनकर घर लौटा। उसने अपनी माँ को सारी बातें बताई और उसका विश्वास जीता कि उसने कभी भी उसके खिलाफ कोई साजिश नहीं की।

डायन को अपने बेटे पर गर्व हुआ और उसने उसे गले लगा लिया। डायन की भलाई और प्रेम की बात निर्जल ने सच्चाई से साबित की और अपनी माँ के साथ खुशहाल जीवन जीने लगा। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि प्यार और समर्थन की शक्ति हर बाधा को पार कर सकती है, और अंत में सच्चाई हमेशा विजयी होती है।