विदुर कौन थे।
विदुर, महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे और वे महाभारत के राजा धृतराष्ट्र के बहनीपुत्र थे। विदुर का जन्म व्यास महाभारत के अनुसार व्यास द्वारा एक नास्तिक योगिनी की शाप से हुआ था, जिसके कारण उनका रूप असमान्य था। इसके कारण विदुर को कौरव राजा धृतराष्ट्र ने राजकुमार नहीं माना और उन्हें राजकुमारों की उपमहादर्शक भूमिका में रखा गया।
महाभारत में विदुर को बुद्धिमान, नीतिवादी, धर्मब्रांत, और विद्वान रूप में चित्रित किया गया है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धान्तरों में भी अपने ज्ञान और सुझावों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विदुर का जीवन और उनकी उपदेशों को अक्सर धर्म, नीति, और जीवन के मूल्यों की दृष्टि से सीख निकाली जाती है।
विदुर का वास्तविक पौराणिक कथा में स्वरूप विशेष रूप से व्यक्ति था और उन्हें महाभारत के राजा विचित्रवीर्य के पुत्र मात्र विश्व कहा जाता है, जो अपनी माता सत्यवती और साधु पराशर के पुत्र व्यास के साथ उत्पन्न हुआ था।
विदुर का विशेष संबंध महाभारत के किसी भी राजनीतिक पर्व या युद्ध के साथ नहीं था और उन्होंने महाभारत के सभी प्रमुख पात्रों की तरह स्वयं को धर्मयोगी और ज्ञानी साधु के रूप में प्रकट किया था। उनके उपदेश और उनका भगवद्गीता में महत्वपूर्ण योगदान है। इसके बावजूद, जनपदों में विदुर के रूप में अनेक पारंपरिक कथाएँ हैं, और वे धर्मिक और दार्शनिक प्रेरणा स्रोत के रूप में मानी जाती हैं।
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