एक जंगल में एक चिड़िया रहती थी उसने एक पेड़ की डाली पर अपना घोसला बनाई थी। जहां वह अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। बारिश का मौसम थी और बहुत तेज की हवाएं चल रही थी उस तूफान में चिड़िया का घर उड़ जाता है।

और वह और उसके दोनों बच्चे बेघर हो जाते हैं| वो पानी में भीग रहे होते हैं और चिड़िया को समझ नहीं आता , कि अब वह क्या करें। चिड़िया अपने दोनों बच्चों को लेकर अपने पास के कौवे के घोसला जाती है। वह कौवे के गोसला का दरवाजा खटखटाती है।

और उससे विनती करती है। कि वह उसे और उसके बच्चे को अंदर आने दे मेरा बच्चा बारिश में भीग गए हैं और ठंड के मारे कांप रहे है। कौवा बोलता है , कि वह उसे अपने घोसला में आने नही देगा।

अभी-अभी उसके दोनों बच्चे सोए हैं और अगर वह दरवाजा खोलता है। तो ठंडी हवा अंदर आएगी जिसके कारण उसके बच्चे जाग जाएंगे। चिड़िया कौवै से बहुत विनती करती है वह कहती है। कि उसके पास रहने के लिए अभी कोई घोसला नहीं है। तो कृपया उसकी मदद करें।

इतना सब कुछ कहने के बाद भी कौवा चिड़िया की कोई मदद नहीं करता और चिड़िया उदास होकर वहां से चली जाती है। कुछ दिनों बाद चिड़िया अपना नया घोसला बना लेती है। जो कि और भी अच्छा से रहने लगी थी एक दिन कौआ अपने दोनों बच्चों के साथ चिड़िया के घर आता है।

क्योंकि तेज हवाओं की वजह से उसका भी घोसला तहसनहस हो गया था। वह चिड़िया के घोसला कुछ देर के चिड़िया उसकी बात मान जाती है। और उन्हें अपने घर में बुलाती है वह उनका बहुत अच्छे से स्वागत करती है।

चिड़िया कौवा से कहती है कि जब तक वह अपना दूसरा घर नहीं बना लेते तब तक वह अपने बच्चों के साथ यहीं रह सकते है। यह सब सुनकर कौआ अपने किए पर बहुत शर्मिंदा होता है।

और वह चिड़िया से माफी मांगता है कि एक बार ऐसी ही स्थिति में उसने चिड़िया की मदद नहीं की थी। चिड़िया कौवे को माफ कर देती है और वह कहती है कि वह उसकी मदद इसलिए कर रही है क्योंकि वह जानती है कि ऐसी स्थिति में कितना कुछ झेलना पड़ता है।

कौवा एक बार फिर से हाथ जोड़कर चिड़िया से माफी मांगता है और उसकी मदद करने के लिए उसका बहुत धन्यवाद करता है। इस से यह शिक्षा मिलती है कि हमें हर स्थिति में सब की मदद करनी चाहिए।