बिहार, गणपत कुमार, कहा यह जाता है कि बिहार में डबल इंजन वाली सरकार है। शायद इसीलिए पुलिस वाले भी डबल हो कर दादागिरी दिखाते हैं। मधुबनी में डबल वर्दीधारी गुंडे द्वारा सिविल कोर्ट के जज के चैंबर में घुसकर गुंडागर्दी करना इस बात का सबसे बड़ा और पुख्ता सबूत है। इस घटना के बाद न्यायपालिका को और कोई सबूत चाहिए तो इससे भी बड़ी घटना का इंतजार करें।

मधुबनी की यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है, कि क्या जज को यह दो कौड़ी के वर्दीधारी गुंडे कानून सिखाएंगे। हद तो तब होती है जब यह दोनों गुंडे एसपी के नाम पर गाली देते हैं। वकीलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह दोनों पुलिस वाले एसपी को लेकर जज साहब को इस तरह की गालियां दे रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एसपी ही इन दोनों को जज के चेंबर में गुंडागर्दी करने के लिए भेजा होगा।

जनता उठा रही सवाल वर्दीवाले गुंडे कर रहे कमाल

इस घटना के बाद सुशासन बाबू पर एवं उनके पुलिस प्रशासन पर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं और यह सवाल उठना भी लाजिम है। जिसका जवाब सुशासन के नगाड़ा पीटने वाले बिहार के भाग्य विधाता, महामहिम, माननीय, आदरणीय मुख्यमंत्री, श्री श्री 108, श्री नीतीश कुमार जी महाराज को देनी चाहिए।

सवाल ये की गुंडे बने पुलिस वाले या पुलिस वाले बने गुंडे?

सवाल ये की गुंडे सरकार चलाते हैं या सरकार गुंडे चलाती है?

सवाल ये की यह पुलिस वाले जज के चेंबर में गुंडागर्दी सरकार के सह पर किया या निर्देश पर?

सवाल ये की नेताओं के तलवे चाटने वाले यह पुलिस वाले किसके साथ पर जज के चैंबर में घुसकर गुंडागर्दी की है?

सवाल यह की सुशासन में जब जज सुरक्षित नहीं तो जनता का क्या हाल है?

क्या है पूरा मामला

सुशासन के वर्दीधारी गुंडों ने कलंक की अभूतपूर्व गाथा गढ़ दी है। बिहार के मधुबनी जिले में थानेदार और दरोगा जज के चेंबर में घूस कर बिहार में सुशासन का अभूतपूर्व सबूत पेश किया है। दोनों गुंडों ने पिस्टल की नोंक पर जज के साथ मारपीट की। शोर-शराबा सुनकर कोर्ट के वकील जज साहब के चेंबर की ओर दौड़े और बीचबचाव किया तो उनकी जान बची।

वकीलों ने थानेदार औऱ दरोगा को कोर्ट में ही बंधक बना लिया है। हम आपको बता दें कि वर्दीधारियों की गुंडई के शिकार बने ये वही जज हैं जिन्होंने मधुबनी के एसपी सत्यप्रकाश को कानून की जानकारी न होने की कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजने का आदेश दिया था।

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Disclaimer:- यह लेख लेखक के अपने निजी विचार है। साथ ही लेख में केवल मधुबनी के न्यायालय में जज के चेम्बर में घटित घटना में शामिल पुलिस वाले को समर्पित है न कि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस वाले को।