दिव्य संवाद, अररिया, किसानों की आय में वृद्धि को लेकर समेकित कृषि प्रणाली अंतर्गत आयोजित समेकित मत्स्य पालन एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता जिला पदाधिकारी श्री प्रशांत कुमार सीएच द्वारा किया गया।

इस कार्यशाला का आयोजन समाहरणालय स्थित सभा भवन में आहूत की गई ।कार्यशाला में कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष, सचिव तथा मत्स्य पालक एवं विकसित किसानों द्वारा भाग लिया गया।

इस कार्यशाला का आयोजन जिला मत्स्य कार्यालय एवं बिहार कोसी वेसीन विकास योजना के तत्वधान में आयोजित की गई।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी श्री प्रशांत कुमार सीएच द्वारा बताया गया कि "समेकित कृषि प्रणाली ऐसी पद्धति है जो उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों भूमि, जल, श्रम, ऊर्जा एवं पूंजी का वास्तविक आकलन कर उनका समुचित उपयोग स्थानीय वातावरण किसानों की जरूरतों एवं आर्थिक तथा सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखकर करने का अवसर प्रदान करती है ।

जो किसानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकती है। कम लागत में अधिक आय का जरिया है। तकनीकी ढंग से कृषि करने से आय में वृद्घि होगी ।मछली पालन एवं बत्तख पालन तथा मखाना की खेती के लिए अररिया जिला उपयुक्त है।

मछली पालन के साथ-साथ मुर्गी पालन, बत्तख पालन में कम लागत से आमदनी में वृद्धि होगी ।उपलब्ध संसाधन का अधिक से अधिक उपयोग करें। पर्यावरण के साथ मित्रता संबंध रखें। इससे रोजगार का अधिक से अधिक सृजन होगा। इस प्रणाली से किसानों के जीवन में सुधार लाने का मुख्य उद्देश्य है।

कार्यशाला में उपस्थित विकसित किसानों एवं मत्स्य पालकों द्वारा बताया गया कि मछली पालन करने में छोटे किसानों एवं मत्स्य पालक को आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है ।कुछ सरकारी तालाब अतिक्रमण भी हैं ।मछली के बिछड़े की उपलब्धता के लिए अन्य राज्यों से लाना पड़ता है।

जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि पशुपालकों को केसीसी से जोड़कर सहयोग करने का प्रावधान है ।यदि कोई किसान 1 एकड़ या अधिक जमीन में तालाब का निर्माण कराना चाहते हैं तो सरकार द्वारा निशुल्क उनके निजी जमीन में तालाब का निर्माण कराने का प्रावधान है ।

उद्यान पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि किसान यदि मखाना की खेती करना चाहते हैं तो 50% सहायता राशि सरकार द्वारा देने का प्रावधान है। जिलाधिकारी द्वारा विकसित किसानों एवं मत्स्य पलकों को हर संभव सहयोग करने का निर्देश संबंधित पदाधिकारी को दिया गया ।

मत्स्य एवं बत्तख तथा मखाना के लिए सभी आवश्यक संसाधनों को विकसित किया जाएगा और अररिया जिला फिशरी हब के रूप में विकसित होगा। जल जीवन हरियाली के तहत तालाब पोखर को विकसित किया जा रहा है जहां भी सरकारी तालाब का अतिक्रमण है उसकी सूची संबंधित पदाधिकारी को समर्पित करने का निर्देश दिया गया।

कार्यशाला में उप विकास आयुक्त, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी ,जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी,डीपीएम जीविका एवं जिले से आए हुए विकसित किसान तथा मत्स्य पालकगण एवं संबंधित पदाधिकारी मौजूद थे।